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Monday 10 February 2014

जयंतिलाल का चश्मा



कल कक्षा में हुआ एक अजब कमाल,
जब भागता
भागता आया जयंती लाल;
हालांकि, वह हमेशा की तरह देर से आया,
लेकिन आज 'होमवर्क' के सारे प्रश्न बाना लाया.


सभी ने भौहें उचका के उसको 'आश्चर्य' से देखा,
लेकिन जयंतिलाल के माथे पे थी संजीदगी की रेखा;

'वैसे ही......जैसी आलोकनाथजी के चेहरे पे होती है,
जब उनकी बेटी के कन्यदान की रसम पूरी होती है !'


हढ़बढ़।हट में,
मास्टरजी ने भी तिरछी नज़रों से कॉपी को देखा,
हर उत्तर को बढ़े ध्यान से परखा,
तब मास्टरजी भी चक्कर में पढ़ गये,
की जयंतिलाल से कैसे यह सवाल बन गये?


मास्टरजी को अपने कठिन सवालों पे गुरूर था,
जिसको आज जयंतिलाल ने किया चकनाचूर था;
सवालों के ऐसे-ऐसे जवाब लिखे,
की मास्टरजी भी तारीफ़ में कसीदे पढ़ते दिखे....

'जयंतिलाल बहुत होनहार हो तुम,
अपने दोस्तों के लिए मिसाल हो तुम;
तुम्हारी यह कॉपी बुद्धिमत्ता का प्रतिबिंब है,
सभी विधयर्थीयों में तुम्हारा भविष्य ही स्वर्णिम है !!!'

यह सुन जयंतिलाल भी सोच में पढ़ गया,
'की उनका 'मास्टर' ज्योतिषी कब से बन गया?'

थोड़ा बिदक्ने के बाद,
उसने मुस्कुरा के आभार व्यक्ता किया,
और कक्षा की इस विडंबना को दूर किया:


उसने अंततः अपनी उपलब्धि का राज़ बताया,
और अपने नये 'लाल' ऐनक को लगाया.
यही 'ऐनक' था उसकी सफलता की निशानी,
जिसपे बन गयी एक पूरी कहानी,
लाल चश्मे ने बनाई जयंतिलाल की प्रतिष्ठा,
और शुरू किया एक असीम रिश्ता....

2 comments:

  1. keep it up which have strted wid so called "lal chasma" :p

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  2. keep it up which have strted wid so called "lal chasma" :p

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